भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS/PCS)
इंडियन सिविल सर्विस यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रति आज भी युवाओं में जबरदस्त क्रेज है। यदि मन में सच्ची लगन और हौसला हो, तो इंडियन सिविल सर्विस के कठिन मुकाम को भी हासिल किया जा सकता है|
मल्टीनेशनल व कॉर्पोरेट कंपनियों में ग्लैरमस करियर के बावजूद अधिकांश ग्रेजुएट आज भी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या समकक्ष अधिकारी बनने का ख्वाब देखते हैं, क्योंकि आईएएस की लाल बत्ती वाली कार और एसएसपी-एसपी (आईपीएस) की थ्री-स्टार वाली खाकी वर्दी का रौब उन्हें ही खूब लुभाता है। खास बात यह है कि यही अधिकारी जिले से प्रोग्रेस करते हुए राज्य और केंद्र में टॉप ऑफिसर भी बनते हैं।
राज्यों की राजधानियों और केंद्र में विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव प्राय: सीनियर आईएएस ही होते हैं। यही कारण है कि आज इस परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदकों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। साथ ही, प्रशासनिक शक्ति, प्रभाव एवं नियंत्रण के कारण सिविल सेवकों का समाज में भी पर्याप्त सम्मान है।
शैक्षिक योग्यता: आवेदकों को किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय या समकक्ष संस्थान से स्नातक होना चाहिए। ग्रेजुएशन कर रहे अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी भी इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते कि मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरने से पहले वे ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लें।
उम्र सीमा: आवेदक की उम्र 2
1 वर्ष से कम और 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति/जनजाति के आवेदकों के लिए ऊपरी आयु सीमा में 5 वर्ष की तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदकों के लिए 3 वर्ष की छूट का प्रावधान है।
अवसरों की संख्या: सामान्य श्रेणी के आवेदक इस परीक्षा में चार बार शामिल हो सकते हैं। एससी/एसटी के आवेदकों के लिए अवसरों की कोई सीमा नहीं है, जबकि ओबीसी आवेदक सात बार इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं।
परीक्षा का स्वरूप
यूपीएससी द्वारा हर वर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में कुल तीन चरण होते हैं-प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार या पर्सनैल्टी टेस्ट। इन तीनों चरणों को अलग-अलग क्वालिफाई करना होता है। आइए जानते हैं इन तीनों के स्वरूप के बारे में:
प्रारंभिक परीक्षा: आवेदकों को सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन करना होता है। यह एक तरह से स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिसका मकसद अगंभीर आवेदकों की छंटनी करना है। इसमें उत्तीर्ण होने वाले आवेदकों को मुख्य परीक्षा के लिए अलग से फॉर्म भरना होता है। प्रारंभिक परीक्षा के अंक मेरिट लिस्ट बनाते समय नहीं जोडे जाते। यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित होती है, जिसमें दो प्रश्नपत्र होते हैं-पहला सामान्य अध्ययन (जीएस) का अनिवार्य प्रश्नपत्र, जिसके लिए 150 अंक निर्धारित होते हैं और दूसरा यूपीएससी की निर्धारित सूची से आवेदक द्वारा चुना गया कोई एक ऐच्छिक विषय, जो 300 अंक का होता है।
इन दोनों प्रश्नपत्रों में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाती है। निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाता है और उन्हें आयोग द्वारा भेजे गए फार्मेट में मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन करना होता है।
मुख्य परीक्षा: सिविल सेवा के लिए यही असली परीक्षा होती है, जिसका स्वरूप निबंधात्मक होता है। इसमें अनिवार्य और ऐच्छिक सहित कई प्रश्नपत्र होते हैं। अनिवार्य प्रश्नपत्रों में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भारतीय भाषा या हिन्दी और अंग्रेजी का प्रश्नपत्र शामिल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन दोनों प्रश्नपत्रों में न्यूनतम अर्हता अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के ही शेष प्रश्नपत्रों के उत्तर पत्रकों की जांच की जाएगी।
अनिवार्य प्रश्नपत्रों में निबंध और सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र भी शामिल हैं। इसके अलावा अभ्यर्थी द्वारा चुने गए दो ऐच्छिक विषयों (जिनका उल्लेख मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरते समय करना होता है) के दो-दो प्रश्नपत्र भी होते हैं, इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों का सर्वाधिक योगदान होता है। इसमें सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए कॉल किया जाता है।
इंटरव्यू: इस परीक्षा का उद्देश्य लोक सेवा की दृष्टि से व्यक्तिगत, अभिव्यक्ति क्षमता, समाज से, देश से अभ्यर्थी के लगाव संबन्धित विचारों को जानने का प्रयास किया जाता है। इसमें विषय से भी संबंधित प्रश्न, समसामयिक तथा नेतृत्व क्षमता को भी आयोग के सदस्य द्वारा परखा जाता है। कुल मिला कर मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार के अंकों के योग के आधार पर उम्मीदवारों का रिक्तियों के अनुसार चयन किया जाता है। इसी आधार पर रैंक भी तय किया जाता है।
अंतिम चयन: मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में प्राप्त अंकों के आधार पर अंतिम मेरिट लिस्ट बनाई जाती है और रिक्तियों के अनुपात में सफल अभ्यर्थियों के नामों की घोषणा कर ही जाती है।
आवेदन प्रक्रिया: अभ्यर्थियों को यूपीएससी द्वारा निर्धारित फॉर्म में आवेदन करना होगा। ये ऐप्लिकेशन फॉर्म देश के निर्धारित मुख्य डाकघरों प्राप्त किए जा सकते हैं। इन्हें पूरी तरह से भर कर 50 रुपये के सेंट्रल रिक्रूटमेंट फी स्टैंप के साथ संघ लोक सेवा आयोग के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय धौलपुर हाउस भेजना होगा। इस बारे में विस्तृत जानकारी यूपीएससी की वेबसाइट www.upsc.gov.in से प्राप्त की जा सकती है।
इंडियन सिविल सर्विस यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रति आज भी युवाओं में जबरदस्त क्रेज है। यदि मन में सच्ची लगन और हौसला हो, तो इंडियन सिविल सर्विस के कठिन मुकाम को भी हासिल किया जा सकता है|
मल्टीनेशनल व कॉर्पोरेट कंपनियों में ग्लैरमस करियर के बावजूद अधिकांश ग्रेजुएट आज भी आईएएस, आईपीएस, आईएफएस या समकक्ष अधिकारी बनने का ख्वाब देखते हैं, क्योंकि आईएएस की लाल बत्ती वाली कार और एसएसपी-एसपी (आईपीएस) की थ्री-स्टार वाली खाकी वर्दी का रौब उन्हें ही खूब लुभाता है। खास बात यह है कि यही अधिकारी जिले से प्रोग्रेस करते हुए राज्य और केंद्र में टॉप ऑफिसर भी बनते हैं।
राज्यों की राजधानियों और केंद्र में विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव प्राय: सीनियर आईएएस ही होते हैं। यही कारण है कि आज इस परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदकों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है। साथ ही, प्रशासनिक शक्ति, प्रभाव एवं नियंत्रण के कारण सिविल सेवकों का समाज में भी पर्याप्त सम्मान है।
शैक्षिक योग्यता: आवेदकों को किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय या समकक्ष संस्थान से स्नातक होना चाहिए। ग्रेजुएशन कर रहे अंतिम वर्ष की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी भी इस परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते कि मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरने से पहले वे ग्रेजुएशन कम्प्लीट कर लें।
उम्र सीमा: आवेदक की उम्र 2
1 वर्ष से कम और 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति/जनजाति के आवेदकों के लिए ऊपरी आयु सीमा में 5 वर्ष की तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदकों के लिए 3 वर्ष की छूट का प्रावधान है।
अवसरों की संख्या: सामान्य श्रेणी के आवेदक इस परीक्षा में चार बार शामिल हो सकते हैं। एससी/एसटी के आवेदकों के लिए अवसरों की कोई सीमा नहीं है, जबकि ओबीसी आवेदक सात बार इस परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं।
परीक्षा का स्वरूप
यूपीएससी द्वारा हर वर्ष आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में कुल तीन चरण होते हैं-प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार या पर्सनैल्टी टेस्ट। इन तीनों चरणों को अलग-अलग क्वालिफाई करना होता है। आइए जानते हैं इन तीनों के स्वरूप के बारे में:
प्रारंभिक परीक्षा: आवेदकों को सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन करना होता है। यह एक तरह से स्क्रीनिंग टेस्ट है, जिसका मकसद अगंभीर आवेदकों की छंटनी करना है। इसमें उत्तीर्ण होने वाले आवेदकों को मुख्य परीक्षा के लिए अलग से फॉर्म भरना होता है। प्रारंभिक परीक्षा के अंक मेरिट लिस्ट बनाते समय नहीं जोडे जाते। यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित होती है, जिसमें दो प्रश्नपत्र होते हैं-पहला सामान्य अध्ययन (जीएस) का अनिवार्य प्रश्नपत्र, जिसके लिए 150 अंक निर्धारित होते हैं और दूसरा यूपीएससी की निर्धारित सूची से आवेदक द्वारा चुना गया कोई एक ऐच्छिक विषय, जो 300 अंक का होता है।
इन दोनों प्रश्नपत्रों में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाती है। निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाता है और उन्हें आयोग द्वारा भेजे गए फार्मेट में मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन करना होता है।
मुख्य परीक्षा: सिविल सेवा के लिए यही असली परीक्षा होती है, जिसका स्वरूप निबंधात्मक होता है। इसमें अनिवार्य और ऐच्छिक सहित कई प्रश्नपत्र होते हैं। अनिवार्य प्रश्नपत्रों में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भारतीय भाषा या हिन्दी और अंग्रेजी का प्रश्नपत्र शामिल हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन दोनों प्रश्नपत्रों में न्यूनतम अर्हता अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के ही शेष प्रश्नपत्रों के उत्तर पत्रकों की जांच की जाएगी।
अनिवार्य प्रश्नपत्रों में निबंध और सामान्य अध्ययन के दो प्रश्नपत्र भी शामिल हैं। इसके अलावा अभ्यर्थी द्वारा चुने गए दो ऐच्छिक विषयों (जिनका उल्लेख मुख्य परीक्षा का फॉर्म भरते समय करना होता है) के दो-दो प्रश्नपत्र भी होते हैं, इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों का सर्वाधिक योगदान होता है। इसमें सफल अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए कॉल किया जाता है।
इंटरव्यू: इस परीक्षा का उद्देश्य लोक सेवा की दृष्टि से व्यक्तिगत, अभिव्यक्ति क्षमता, समाज से, देश से अभ्यर्थी के लगाव संबन्धित विचारों को जानने का प्रयास किया जाता है। इसमें विषय से भी संबंधित प्रश्न, समसामयिक तथा नेतृत्व क्षमता को भी आयोग के सदस्य द्वारा परखा जाता है। कुल मिला कर मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार के अंकों के योग के आधार पर उम्मीदवारों का रिक्तियों के अनुसार चयन किया जाता है। इसी आधार पर रैंक भी तय किया जाता है।
अंतिम चयन: मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में प्राप्त अंकों के आधार पर अंतिम मेरिट लिस्ट बनाई जाती है और रिक्तियों के अनुपात में सफल अभ्यर्थियों के नामों की घोषणा कर ही जाती है।
आवेदन प्रक्रिया: अभ्यर्थियों को यूपीएससी द्वारा निर्धारित फॉर्म में आवेदन करना होगा। ये ऐप्लिकेशन फॉर्म देश के निर्धारित मुख्य डाकघरों प्राप्त किए जा सकते हैं। इन्हें पूरी तरह से भर कर 50 रुपये के सेंट्रल रिक्रूटमेंट फी स्टैंप के साथ संघ लोक सेवा आयोग के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय धौलपुर हाउस भेजना होगा। इस बारे में विस्तृत जानकारी यूपीएससी की वेबसाइट www.upsc.gov.in से प्राप्त की जा सकती है।
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