अध्यापन(Teaching)
शिक्षा और शिक्षक का संबंध बहुत गहरा है। किसी भी विद्यार्थी के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी शिक्षक के ऊपर होती है। यहीं से बात शुरू होती है टीचिंग अथवा अध्यापन की। टीचिंग के प्रोफेशन को प्रारम्भ से ही सम्मानजनक पेशे के रूप में देखा जाता है। आज शिक्षकों का दायित्व कई लिहाज से पहले से अलग नजर आता है। बदलते सामाजिक, आर्थिक समीकरणों और व्यापक होती सोच के बीच शिक्षकों की भूमिका भी व्यापक हुई है।
आंकड़ों की नजर में बाजार
भारत में शिक्षा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इंडियन एजुकेशन इनवेस्टमेंट रिपोर्ट 2013 के अनुसार साल दर साल यह बाजार 15 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रहा है। भारत में प्री-स्कूल का बाजार 4,500 करोड़ के आसपास है, जबकि 2015-16 के करीब इसके 13,300 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वोकेशनल ट्रेनिंग का बाजार भी 12-17 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) के अप्रैल 2000-मार्च 2013 तक के आंकडमें के अनुसार देश में शिक्षा क्षेत्र करीब 3,332.97 करोड़ एफडीआई को अपनी ओर आकर्षित कर चुका है। शिक्षा के बाजार के सरपट दौड़ने का एक प्रमुख कारण यह भी है। कई ऐसी प्राइवेट व मल्टीनेशनल कंपनियां हैं, जो प्री-स्कूल, प्राइवेट कोचिंग, टय़ूटरिंग, टीचर ट्रेनिंग, ई-लर्निंग व आईटी ट्रेनिंग में इनवेस्टमेंट कर रही हैं। यहां के नामी-गिरामी संस्थान भी विदेशी विवि. अथवा संस्थानों से हाथ मिला कर काम कर रहे हैं। इससे देश में नई तकनीक, विदेशी निवेश व उच्च कोटि के शैक्षणिक स्तर का सूत्रपात हो रहा है।
कई तरह के पाठय़क्रम मौजूद
टीचिंग के क्षेत्र में कई ऐसे पाठय़क्रम हैं, जिनके पश्चात शिक्षक बनने का सपना पूरा हो पाता है। ये पाठय़क्रम स्नातक व परास्नातक, दोनों ही स्तरों पर संचालित किए जाते हैं। कुछ निम्न हैं-
बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन)
दो वर्षीय इस पाठय़क्रम में प्रवेश स्नातक (50 प्रतिशत) व प्रवेश परीक्षा के आधार पर मिलता है। उप्र में राज्यस्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा के अलावा कई संस्थान जैसे इग्नू, काशी विद्यापीठ आदि भी स्वतंत्र रूप से बीएड का पाठय़क्रम संचालित कराते हैं और इसके लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। ये परीक्षाएं हर साल आयोजित की जाती हैं। इसके पाठय़क्रमों में शिक्षा मनोविज्ञान, दर्शन शास्त्र, भारतीय शिक्षा का इतिहास, शिक्षण साधन व पर्यावरण आदि को शामिल किया जाता है। कोर्स के पश्चात् 15-30 दिन की ट्रेनिंग भी दी जाती है। सफलतापूर्वक कोर्स करने के पश्चात प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व परिषदीय विद्यालयों में अध्यापन का मौका मिलता है।
बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट)
बीटीसी दो वर्षीय डिप्लोमा पाठय़क्रम होता है। यह प्राथमिक व उच्च प्राथमिक तक के बच्चों के अध्यापन के लिए होता है। इस पाठय़क्रम में तभी प्रवेश मिल पाता है, जब प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की जाए। इसके लिए जिले स्तर पर काउंसिलिंग कराई जाती है। उसी के आधार पर प्रवेश दे दिया जाता है। इसके लिए छात्र का स्नातक 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसमें छात्र की आयु 18-30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इस पाठय़क्रम में केवल उप्र के अभ्यर्थी भाग ले सकते हैं। इसमें कला व विज्ञान वर्ग को अलग-अलग वर्ग में रखा गया है।बीटीसी मे प्रवेश कभी परीक्षा द्वारा या फिर मेरिट द्वारा होता है|प्रवेश प्रक्रिया राज्य सरकार समय समय पर बदलती रहती है|
डीपीएड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन)
विगत कुछ वर्षों से देश में शारीरिक व खेल प्रशिक्षकों की मांग को देखते हुए ‘फिजिकल एजुकेशन’ को एक पाठय़क्रम का रूप दे दिया गया है। इन्हीं में से एक डीपीएड भी है। यह दो वर्षीय पाठय़क्रम है। इसमें प्रवेश 10+2 में 50 प्रतिशत अंकों के आधार पर मिलता है। इसमें परीक्षा सेमेस्टर में न होकर एनुअल सिस्टम के रूप में होती है। इसके पाठय़क्रमों के अंतर्गत छात्रों को शारीरिक संरचना, समस्या एवं निवारण आदि का ज्ञान कराया जाता है। साथ ही उन्हें इनडोर, आउटडोर, योग आदि की प्रैक्िटस कराई जाती है। इसके बिना शारीरिक शिक्षा को पूरा नहीं माना जाता। पाठय़क्रम की समाप्ति पर विभिन्न स्कूलों में गेम टीचर के रूप में नियुक्ित मिलती है।
बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन)
इसका पाठय़क्रम भी काफी कुछ डीपीएड से मिलता-जुलता है। फिजिकल एजुकेशन में किस्मत आजमाने के लिए बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन कोर्स किया जा सकता है। कोर्स दो तरह से होते हैं। पहला, स्नातक छात्र, जिन्होंने स्नातक में फिजिकल एजुकेशन एक विषय के रूप में लिया हो, वे एक वर्षीय बीपीएड कोर्स कर सकते हैं। दूसरा बारहवीं के छात्र, जिन्होंने बारहवीं में फिजिकल एजुकेशन को एक विषय के रूप में लिया हो, वे तीन वर्षीय स्नातक कोर्स कर सकते हैं। इसके बलबूते सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूलों में ट्रेनिंग टीचर की नौकरी आसानी से मिल जाती है। इस पाठय़क्रम में दाखिले के लिए छात्र को कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें प्रमुख रूप से लिखित परीक्षा, फिजिकल फिटनेस टैस्ट, खेल क्षमता परीक्षा और अंत में इंटरव्यू का सामना करना पड़ता है।
एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग)
यह पाठय़क्रम दो वर्षीय होता है। इसमें प्रवेश का स्वरूप अलग-अलग होता है। कुछ संस्थान बारहवीं के अंकों के आधार पर तो कुछ प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं। इसकी प्रवेश परीक्षा में करंट अफेयर्स, जनरल स्टडी, हिन्दी, टीचिंग एप्टीटय़ूड, अंग्रेजी, रीजिनग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। वैसे तो यह पद्धति सभी राज्यों के लिए है, लेकिन दिल्ली जैसे महानगरों में यह तेजी से प्रचलन में है। अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार हो रहा है। कोर्स के पश्चात नगर निगम अथवा प्रमुख नर्सरी स्कूलों में प्रवेश मिल सकता है।
ये परीक्षाएं बनेंगी आधार
प्रमुख पाठय़क्रमों में सफल होने के अलावा आजकल कई ऐसी अहर्ता परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, जिन्हें भी पास करना अनिवार्य है। तभी आवेदन के हकदार हो सकेंगे। सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट) केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, तिब्बती स्कूलों व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधीन आने वाले विद्यालयों में टीचर बनने के लिए सीबीएसई द्वारा आयोजित केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में उत्तीर्ण हों। यह परीक्षा क्वालिफाइंग नेचर की होती है। इसमें वही छात्र बैठ सकते हैं, जिन्होंने स्नातक की परीक्षा 50 फीसदी अंकों के साथ पास कर ली हो। इसके अलावा बीएड की भी डिग्री होनी जरूरी है। सीटीईटी केवल केंद्रीय विद्यालयों अथवा सीबीएसई से संबंधित स्कूलों के लिए है। राज्यों में यह सर्टिफिकेट मान्य नहीं होगा। साथ ही परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट भी सात साल के लिए वैध होगा।
टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट)
उत्तर प्रदेश सहित कई प्रमुख राज्यों में अब टीचर बनने के लिए बीएड के साथ-साथ टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट (टीईटी) पास करना जरूरी है। हाईकोर्ट के हालिया आदेश में भी यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को एक सर्टिफिकेट प्रदान कि या जाएगा। यह सर्टिफिकेट पांच साल के लिए मान्य होगा। इसमें छात्र एक परीक्षा या दोनों परीक्षाओं में सम्मिलित हो सकते हैं। इसमें बैठने के लिए स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण होने के अलावा बीएड पास होना जरूरी है। ऐसे भी छात्र परीक्षा में बैठ सकते हैं, जिन्होंने बीएड की परीक्षा दे दी हो, लेकिन उसका रिजल्ट अभी न आया हो।
UP TGT/PGT :- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, TGT/PGT भर्ती परीक्षा का आयोजन करता है। UPSESSB इस राज्य-स्तरीय शिक्षक भर्ती परीक्षा के आयोजन के लिए उत्तरदायी होता है। बोर्ड ने सभी इच्छुक पुरुष और महिला उम्मीदवारों को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक और परास्नातक शिक्षक के पद के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित करने के लिए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। यह उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक अच्छा अवसर है, जो शिक्षण के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं।
उम्मीदवार एक ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र भरकर आवेदन कर सकते है|
आयु-सीमा: 21 वर्ष से अधिक
राष्ट्रीयता: एक शिक्षक के पद पर सीधी भर्ती के लिए एक उम्मीदवार को होना चाहिए:
भारत का एक नागरिक; याएक तिब्बती शरणार्थी जो स्थायी रूप से भारत में बसने के इरादे के साथ 1 जनवरी 1962 से पहले भारत आया; याभारतीय मूल का एक व्यक्ति जो भारत में स्थायी रूप से बसने के इरादे के साथ पाकिस्तान, बर्मा, श्रीलंका या केन्या के किसी भी पूर्वी अफ्रीकी देश, युगांडा और तंजानिया संयुक्त गणराज्य (पूर्व में तंगंयिका और जंजीबार) से भारत आया।
शारीरिक फिटनेस: ऐसे किसी भी उम्मीदवार को शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जायेगा जो मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ न हो तथा किसी भी शारीरिक दोष से मुक्त न हो, क्योंकि इससे उसके कर्तव्यों के कुशल प्रदर्शन में हस्तक्षेप होने की संभावना है।
PGT के लिए: उम्मीदवार के पास संबंधित विषय में एक स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए व बीएड होना चाहिए|TGT के लिए: उम्मीदवार के पास संबंधित विषय में एक स्नातक की डिग्री तथा Ed/BTC या कोई अन्य प्रमाणपत्र होना चाहिए।
यह एक राज्य-स्तरीय परीक्षा है जिसमें एक प्रश्नपत्र TGT के लिए तथा एक प्रश्नपत्र PGT के लिए होता है। प्रश्नपत्र में आपके द्वारा आवेदन प्रपत्र में चयन किये गए विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। प्रश्न वस्तुनिष्ठ अर्थात बहुविकल्पीय होंगे।
यूजीसी नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा)
देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई अनूठे प्रयोग किए गए हैं। इन्हीं में से एक राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) एग्जाम भी है। साल भर में दो बार होने वाली इस परीक्षा का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा किया जाता है। इसमें सफल होने के बाद जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) अथवा भारत के किसी विश्वविद्यालय अथवा संबद्ध महाविद्यालय में लेक्चरर बनने का सपना पूरा हो सकता है। इसके अंतर्गत कुल तीन पेपर होते हैं, जिन्हें दो सत्रों में सम्पन्न कराया जाता है। तीनों पेपरों का माध्यम हिन्दी व अंग्रेजी, दोनों हैं। उम्मीदवार अपनी इच्छानुसार कोई भी माध्यम चुन सकते हैं। पहला पेपर जनरल नेचर, दूसरा पेपर चुने गए विषय तथा तीसरा पेपर भी चुने गए विषय से ही संबंधित होता है। सभी पेपरों के प्रश्न बहुविकल्पीय होते हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए दो अंक दिए जाते हैं, जबकि दूसरे व तीसरे पेपर के सभी प्रश्न अनिवार्य होते हैं।
रोजगार के अवसर
इस क्षेत्र में जॉब की अधिकता के साथ प्रतिस्पर्धा भी खूब है। कोर्स एवं अहर्ता परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों सहित सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सहायक अध्यापक, लेक्चरर, प्रवक्ता, शिक्षा मित्र व अनुदेशक बना जा सकता है। प्राइवेट संस्थान अथवा कोचिंग सेंटर भी योग्य लोगों को टीचिंग का मौका देते हैं। पीएचडी के बाद शोध का अवसर मिलता है।
शिक्षा और शिक्षक का संबंध बहुत गहरा है। किसी भी विद्यार्थी के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी शिक्षक के ऊपर होती है। यहीं से बात शुरू होती है टीचिंग अथवा अध्यापन की। टीचिंग के प्रोफेशन को प्रारम्भ से ही सम्मानजनक पेशे के रूप में देखा जाता है। आज शिक्षकों का दायित्व कई लिहाज से पहले से अलग नजर आता है। बदलते सामाजिक, आर्थिक समीकरणों और व्यापक होती सोच के बीच शिक्षकों की भूमिका भी व्यापक हुई है।
आंकड़ों की नजर में बाजार
भारत में शिक्षा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। इंडियन एजुकेशन इनवेस्टमेंट रिपोर्ट 2013 के अनुसार साल दर साल यह बाजार 15 फीसदी की दर से ग्रोथ कर रहा है। भारत में प्री-स्कूल का बाजार 4,500 करोड़ के आसपास है, जबकि 2015-16 के करीब इसके 13,300 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वोकेशनल ट्रेनिंग का बाजार भी 12-17 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (डीआईपीपी) के अप्रैल 2000-मार्च 2013 तक के आंकडमें के अनुसार देश में शिक्षा क्षेत्र करीब 3,332.97 करोड़ एफडीआई को अपनी ओर आकर्षित कर चुका है। शिक्षा के बाजार के सरपट दौड़ने का एक प्रमुख कारण यह भी है। कई ऐसी प्राइवेट व मल्टीनेशनल कंपनियां हैं, जो प्री-स्कूल, प्राइवेट कोचिंग, टय़ूटरिंग, टीचर ट्रेनिंग, ई-लर्निंग व आईटी ट्रेनिंग में इनवेस्टमेंट कर रही हैं। यहां के नामी-गिरामी संस्थान भी विदेशी विवि. अथवा संस्थानों से हाथ मिला कर काम कर रहे हैं। इससे देश में नई तकनीक, विदेशी निवेश व उच्च कोटि के शैक्षणिक स्तर का सूत्रपात हो रहा है।
कई तरह के पाठय़क्रम मौजूद
टीचिंग के क्षेत्र में कई ऐसे पाठय़क्रम हैं, जिनके पश्चात शिक्षक बनने का सपना पूरा हो पाता है। ये पाठय़क्रम स्नातक व परास्नातक, दोनों ही स्तरों पर संचालित किए जाते हैं। कुछ निम्न हैं-
बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन)
दो वर्षीय इस पाठय़क्रम में प्रवेश स्नातक (50 प्रतिशत) व प्रवेश परीक्षा के आधार पर मिलता है। उप्र में राज्यस्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा के अलावा कई संस्थान जैसे इग्नू, काशी विद्यापीठ आदि भी स्वतंत्र रूप से बीएड का पाठय़क्रम संचालित कराते हैं और इसके लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। ये परीक्षाएं हर साल आयोजित की जाती हैं। इसके पाठय़क्रमों में शिक्षा मनोविज्ञान, दर्शन शास्त्र, भारतीय शिक्षा का इतिहास, शिक्षण साधन व पर्यावरण आदि को शामिल किया जाता है। कोर्स के पश्चात् 15-30 दिन की ट्रेनिंग भी दी जाती है। सफलतापूर्वक कोर्स करने के पश्चात प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व परिषदीय विद्यालयों में अध्यापन का मौका मिलता है।
बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट)
बीटीसी दो वर्षीय डिप्लोमा पाठय़क्रम होता है। यह प्राथमिक व उच्च प्राथमिक तक के बच्चों के अध्यापन के लिए होता है। इस पाठय़क्रम में तभी प्रवेश मिल पाता है, जब प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की जाए। इसके लिए जिले स्तर पर काउंसिलिंग कराई जाती है। उसी के आधार पर प्रवेश दे दिया जाता है। इसके लिए छात्र का स्नातक 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसमें छात्र की आयु 18-30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इस पाठय़क्रम में केवल उप्र के अभ्यर्थी भाग ले सकते हैं। इसमें कला व विज्ञान वर्ग को अलग-अलग वर्ग में रखा गया है।बीटीसी मे प्रवेश कभी परीक्षा द्वारा या फिर मेरिट द्वारा होता है|प्रवेश प्रक्रिया राज्य सरकार समय समय पर बदलती रहती है|
डीपीएड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन)
विगत कुछ वर्षों से देश में शारीरिक व खेल प्रशिक्षकों की मांग को देखते हुए ‘फिजिकल एजुकेशन’ को एक पाठय़क्रम का रूप दे दिया गया है। इन्हीं में से एक डीपीएड भी है। यह दो वर्षीय पाठय़क्रम है। इसमें प्रवेश 10+2 में 50 प्रतिशत अंकों के आधार पर मिलता है। इसमें परीक्षा सेमेस्टर में न होकर एनुअल सिस्टम के रूप में होती है। इसके पाठय़क्रमों के अंतर्गत छात्रों को शारीरिक संरचना, समस्या एवं निवारण आदि का ज्ञान कराया जाता है। साथ ही उन्हें इनडोर, आउटडोर, योग आदि की प्रैक्िटस कराई जाती है। इसके बिना शारीरिक शिक्षा को पूरा नहीं माना जाता। पाठय़क्रम की समाप्ति पर विभिन्न स्कूलों में गेम टीचर के रूप में नियुक्ित मिलती है।
बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन)
इसका पाठय़क्रम भी काफी कुछ डीपीएड से मिलता-जुलता है। फिजिकल एजुकेशन में किस्मत आजमाने के लिए बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन कोर्स किया जा सकता है। कोर्स दो तरह से होते हैं। पहला, स्नातक छात्र, जिन्होंने स्नातक में फिजिकल एजुकेशन एक विषय के रूप में लिया हो, वे एक वर्षीय बीपीएड कोर्स कर सकते हैं। दूसरा बारहवीं के छात्र, जिन्होंने बारहवीं में फिजिकल एजुकेशन को एक विषय के रूप में लिया हो, वे तीन वर्षीय स्नातक कोर्स कर सकते हैं। इसके बलबूते सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूलों में ट्रेनिंग टीचर की नौकरी आसानी से मिल जाती है। इस पाठय़क्रम में दाखिले के लिए छात्र को कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है, जिसमें प्रमुख रूप से लिखित परीक्षा, फिजिकल फिटनेस टैस्ट, खेल क्षमता परीक्षा और अंत में इंटरव्यू का सामना करना पड़ता है।
एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग)
यह पाठय़क्रम दो वर्षीय होता है। इसमें प्रवेश का स्वरूप अलग-अलग होता है। कुछ संस्थान बारहवीं के अंकों के आधार पर तो कुछ प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश देते हैं। इसकी प्रवेश परीक्षा में करंट अफेयर्स, जनरल स्टडी, हिन्दी, टीचिंग एप्टीटय़ूड, अंग्रेजी, रीजिनग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। वैसे तो यह पद्धति सभी राज्यों के लिए है, लेकिन दिल्ली जैसे महानगरों में यह तेजी से प्रचलन में है। अन्य राज्यों में भी इसका विस्तार हो रहा है। कोर्स के पश्चात नगर निगम अथवा प्रमुख नर्सरी स्कूलों में प्रवेश मिल सकता है।
ये परीक्षाएं बनेंगी आधार
प्रमुख पाठय़क्रमों में सफल होने के अलावा आजकल कई ऐसी अहर्ता परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, जिन्हें भी पास करना अनिवार्य है। तभी आवेदन के हकदार हो सकेंगे। सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट) केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, तिब्बती स्कूलों व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधीन आने वाले विद्यालयों में टीचर बनने के लिए सीबीएसई द्वारा आयोजित केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में उत्तीर्ण हों। यह परीक्षा क्वालिफाइंग नेचर की होती है। इसमें वही छात्र बैठ सकते हैं, जिन्होंने स्नातक की परीक्षा 50 फीसदी अंकों के साथ पास कर ली हो। इसके अलावा बीएड की भी डिग्री होनी जरूरी है। सीटीईटी केवल केंद्रीय विद्यालयों अथवा सीबीएसई से संबंधित स्कूलों के लिए है। राज्यों में यह सर्टिफिकेट मान्य नहीं होगा। साथ ही परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट भी सात साल के लिए वैध होगा।
टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट)
उत्तर प्रदेश सहित कई प्रमुख राज्यों में अब टीचर बनने के लिए बीएड के साथ-साथ टीचर एलिजिबिलिटी टैस्ट (टीईटी) पास करना जरूरी है। हाईकोर्ट के हालिया आदेश में भी यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई है। परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को एक सर्टिफिकेट प्रदान कि या जाएगा। यह सर्टिफिकेट पांच साल के लिए मान्य होगा। इसमें छात्र एक परीक्षा या दोनों परीक्षाओं में सम्मिलित हो सकते हैं। इसमें बैठने के लिए स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण होने के अलावा बीएड पास होना जरूरी है। ऐसे भी छात्र परीक्षा में बैठ सकते हैं, जिन्होंने बीएड की परीक्षा दे दी हो, लेकिन उसका रिजल्ट अभी न आया हो।
UP TGT/PGT :- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, TGT/PGT भर्ती परीक्षा का आयोजन करता है। UPSESSB इस राज्य-स्तरीय शिक्षक भर्ती परीक्षा के आयोजन के लिए उत्तरदायी होता है। बोर्ड ने सभी इच्छुक पुरुष और महिला उम्मीदवारों को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक और परास्नातक शिक्षक के पद के लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित करने के लिए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। यह उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक अच्छा अवसर है, जो शिक्षण के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं।
उम्मीदवार एक ऑनलाइन आवेदन प्रपत्र भरकर आवेदन कर सकते है|
आयु-सीमा: 21 वर्ष से अधिक
राष्ट्रीयता: एक शिक्षक के पद पर सीधी भर्ती के लिए एक उम्मीदवार को होना चाहिए:
भारत का एक नागरिक; याएक तिब्बती शरणार्थी जो स्थायी रूप से भारत में बसने के इरादे के साथ 1 जनवरी 1962 से पहले भारत आया; याभारतीय मूल का एक व्यक्ति जो भारत में स्थायी रूप से बसने के इरादे के साथ पाकिस्तान, बर्मा, श्रीलंका या केन्या के किसी भी पूर्वी अफ्रीकी देश, युगांडा और तंजानिया संयुक्त गणराज्य (पूर्व में तंगंयिका और जंजीबार) से भारत आया।
शारीरिक फिटनेस: ऐसे किसी भी उम्मीदवार को शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जायेगा जो मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ न हो तथा किसी भी शारीरिक दोष से मुक्त न हो, क्योंकि इससे उसके कर्तव्यों के कुशल प्रदर्शन में हस्तक्षेप होने की संभावना है।
PGT के लिए: उम्मीदवार के पास संबंधित विषय में एक स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए व बीएड होना चाहिए|TGT के लिए: उम्मीदवार के पास संबंधित विषय में एक स्नातक की डिग्री तथा Ed/BTC या कोई अन्य प्रमाणपत्र होना चाहिए।
यह एक राज्य-स्तरीय परीक्षा है जिसमें एक प्रश्नपत्र TGT के लिए तथा एक प्रश्नपत्र PGT के लिए होता है। प्रश्नपत्र में आपके द्वारा आवेदन प्रपत्र में चयन किये गए विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। प्रश्न वस्तुनिष्ठ अर्थात बहुविकल्पीय होंगे।
यूजीसी नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा)
देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई अनूठे प्रयोग किए गए हैं। इन्हीं में से एक राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) एग्जाम भी है। साल भर में दो बार होने वाली इस परीक्षा का आयोजन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा किया जाता है। इसमें सफल होने के बाद जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) अथवा भारत के किसी विश्वविद्यालय अथवा संबद्ध महाविद्यालय में लेक्चरर बनने का सपना पूरा हो सकता है। इसके अंतर्गत कुल तीन पेपर होते हैं, जिन्हें दो सत्रों में सम्पन्न कराया जाता है। तीनों पेपरों का माध्यम हिन्दी व अंग्रेजी, दोनों हैं। उम्मीदवार अपनी इच्छानुसार कोई भी माध्यम चुन सकते हैं। पहला पेपर जनरल नेचर, दूसरा पेपर चुने गए विषय तथा तीसरा पेपर भी चुने गए विषय से ही संबंधित होता है। सभी पेपरों के प्रश्न बहुविकल्पीय होते हैं। प्रत्येक प्रश्न के लिए दो अंक दिए जाते हैं, जबकि दूसरे व तीसरे पेपर के सभी प्रश्न अनिवार्य होते हैं।
रोजगार के अवसर
इस क्षेत्र में जॉब की अधिकता के साथ प्रतिस्पर्धा भी खूब है। कोर्स एवं अहर्ता परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों सहित सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में सहायक अध्यापक, लेक्चरर, प्रवक्ता, शिक्षा मित्र व अनुदेशक बना जा सकता है। प्राइवेट संस्थान अथवा कोचिंग सेंटर भी योग्य लोगों को टीचिंग का मौका देते हैं। पीएचडी के बाद शोध का अवसर मिलता है।
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